समदङी मंदिर का इतिहास

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समदङी मंदिर का इतिहास

मंदिर कि एक झलक:

समदङी मे श्री पिपाजी महाराज का मंदिर बनाने के लिये हमारे समाज को श्री 1008 खेतारामजी महाराज का बहुत बडा योगदान हैं

श्री 1008 खेतारामजी महाराज और उनके साथ मे

1. खंगारजी (खंडप्)

2. रामाजी (असाडा)

3. चमनाजी (भोरङा)

4. सोनाजी (मजल्)

5. सोगजी (गोल्)

इन्होने मिल अपना किमती समय देकर समाज के लिये समदङी मे भुमि ली और मंदिर बनाने के लिये प्रग्रतिशिल रहे.

फिर समाज के आर्थिक सहयोग से मंदिर का शिलान्यस श्री 1008 खेतारामजी महाराज (आसोतरा) के कर कमलो द्वारा हुआ

जब तक मंदिर का निर्मांण चला इन आदरणीय महानुभावो का बहुत योगदान रहा. यह मंदिर भारत देश मे श्री पिपाजी महाराज का सबसे बङा और विशाल मंदिर भी हैं! इस मंदिर का क्षेत्रफल 8 से 9 बीघा हैं जो दर्जी समाज के लिये गौरव की बात हैं ., यहा पर हर पुर्णीमा को मेला लगता हैं और चैत्र पुर्णीमा को बहुत बङे मेले का आयोजन होता हैं. और कार्तिक पुर्णिमा को अन्नकूट का आयोजन होता है जिसमे सब समाज बंधु हिस्सा लेते है

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